ISRO ने पकड़ी SpaceX की बड़ी भूल
Shubhanshu Shukla News: भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने अमेरिका की मशहूर कंपनी SpaceX के फाल्कन-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लाइन में खतरनाक दरार की पहचान कर बड़ी अनहोनी से बचा लिया. साथ स्पेस साइंस की दुनिया एक बार फिर सबको दिखा दिया कि जब बात तकनीक और सुरक्षा की हो तो इंडिया किसी से कम नहीं.
इसरो ने लिक्विड ऑक्सीजन लाइन खतरनाक दरार की पहचान कर अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचा ली. इनमें भारत के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं. शुभांशु शुक्ला 550 करोड़ रुपए की लागत से इस मिशन का हिस्सा हैं.
क्या है मामला?
फाल्कन-9 रॉकेट Axiom-4 मिशन के तहत 19 जून को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाला है. लॉन्च से पहले ISRO की 13 सदस्यीय टीम ने अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केनेडी स्पेस सेंटर पर कड़ी जांच की. इसी दौरान रॉकेट के पहले स्टेज में ऑक्सीडाइजर लाइन में क्रैक मिला. SpaceX ने पहले इसे मामूली लीकेज मानकर सिर्फ ‘पर्ज’ तकनीक से ही काम चलाने की कोशिश की, लेकिन ISRO प्रमुख डॉ वी. नारायणन ने इसे सीधे खारिज कर दिया.
इसरो के वैज्ञानिक डॉ. नारायणन ने जोर देकर कहा कि जब तक दरार पूरी तरह बदली नहीं जाती और लो-टेम्परेचर लीकेज टेस्ट सफल नहीं होता, तब तक लॉन्च की इजाजत नहीं मिलेगी. SpaceX को आखिरकार ISRO की शर्तें माननी पड़ी और दरार वाला हिस्सा बदलना पड़ा.
किस-किसकी जाती जान?
SpaceX के मिशन के तहत अंतरिक्ष की उड़ान भरने वालों में भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अलावा अमेरिका की पेगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस उज़ानांस्की और हंगरी के टिबोर कपू शामिल हैं. यदि यह दरार लॉन्च के समय फट जाती तो रॉकेट में धमाका हो सकता था. विशेषज्ञों का कहना है कि लिक्विड ऑक्सीजन काफी ज्वलनशील होता है और लॉन्च के वक्त रॉकेट में जबरदस्त कंपन होते हैं, जिससे दरार बढ़ सकती थी.
5 बार टला लॉन्च, अब 19 जून को नई तारीख
ISRO की सख्ती की वजह से लॉन्च को 5 बार टालना पड़ा. अब सभी टेस्ट के बाद नया लॉन्च डेट 19 जून रखा गया है. अगर किसी वजह से यह डेट चूक गई तो 30 जून तक का विंडो खुला रहेगा.